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Baglamukhi Chalisa – माँ बगलामुखी चालीसा (सम्पूर्ण)

Baglamukhi Chalisa – माँ बगलामुखी चालीसा (सम्पूर्ण) – माँ बगलामुखी की आराधना और स्तुति के लिए आज हम बगलामुखी चालीसा का प्रकाशन कर रहें हैं.

बगलामुखी माता को पीताम्बरा माता भी कहा जाता है. माँ बगलामुखी माँ पार्वती का ही रूप मानी जाती हैं.

दस महाविद्याओं में माँ बगलामुखी आठवीं महाविद्या है.

शत्रुओं पर विजय, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए माँ बगलामुखी की उपासना की जाती है.

माँ बगलामुखी की आराधना के लिए साधक बगलामुखी मंत्र, बगलामुखी कवच, बगलाष्टक का पाठ करतें हैं. बगलामुखी माता की भक्तिपूर्वक आरती करना भी शुभ और मंगलकारी माना गया है.

चलिए आज हम माँ बगलामुखी की आराधना के लिए श्री बगलामुखी चालीसा का पाठ करतें हैं. जय माँ बगलामुखी, जय पीताम्बरा माता.

Baglamukhi Chalisa – माँ बगलामुखी चालीसा

Baglamukhi Mata

|| बगलामुखी माता चालीसा ||

|| दोहा ||

नमो महाविधा बरद , बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ||

|| चौपाई ||

नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी |

भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी |

अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |

स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना |

स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |

तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |

भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |

तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा |

तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |

छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी |

सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |

दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |

दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता |

साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता |

मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी |

तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी |

अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को |

हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |

चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे |

अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे |

मूठ आदि अभिचारण संकट . राजभीति आपत्ति सन्निकट |

ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे |

सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे |

नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर |

सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी |

स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक |

तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें |

शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता |

यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता |

पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी |

जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई |

आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो |

पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |

मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया |

जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा |

नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता |

सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |

रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |

नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |

अरि भंजक विपत्ति की त्राता , दया करो पीताम्बरी माता |

|| दोहा ||

रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल |
मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल ||

माँ बगलामुखी की आराधना के लिए एक और चालीसा प्रचलित है. हम इसका भी प्रकाशन कर रहें हैं. आप इन दोनों चालीसा में से किसी भी चालीसा का पाठ कर सकतें हैं. माँ बगलामुखी की दोनों चालीसा समान रूप से प्रभावकारी है.

बगलामुखी माता चालीसा

॥ दोहा ॥

सिर नवाइ बगलामुखी,लिखूँ चालीसा आज ।
कृपा करहु मोपर सदा,पूरन हो मम काज ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥

बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
अस्तुति करहिं देव नर-नारी ॥

पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥

तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥

रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥

आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥

पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण सन्त अस भाखै ॥

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥

कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥

धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥

मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहु कृपा मोपर जनजानी ॥

त्रिविध ताप सब दु:ख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥

बार-बार मैं बिनवउँ तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥

पूजनान्त में हवन करावै ।
सो नर मनवांछित फल पावै ॥

सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥

दु:ख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-संपति सब होई ॥

फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥

फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥

गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥

गुग्गुल तिल सँग होम करावै ।
ताको सकल बन्ध कट जावै ॥

बीजाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीजमन्त्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥

एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल सन्तापा ॥

घर की शुद्ध भूमि जहँ होई ।
साधक जाप करै तहँ सोई ॥

सोइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
जामे नहिं कछु संशय लावै ॥

अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥

दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सकल काज तेहि कर सिधि होई ॥

जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयश विस्तारा ॥

जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महँ रिपुहिं नसाई ॥

सप्तरात्रि जो जापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥

नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥

प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवै कल्याना ॥

कहँ लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥

पाठ करै जो नित्य चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥

॥ दोहा ॥

सन्तशरण को तनय हूँ, कुलपति मिश्र सुनाम ।

हरिद्वार मण्डल बसूँ, धाम हरिपुर ग्राम ॥

उन्नीस सौ पिचानबे सन् की, श्रावण शुक्ला मास ।

चालीसा रचना कियौं, तव चरणन को दास ॥

Video

बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) विडियो हमने यहाँ दिया हुआ है. आप इन विडियो को प्ले बटन दबाकर यहीं देख सकतें हैं.

बगलामुखी चालीसा विडियो

माँ बगलामुखी चालीसा विडियो

Baglamukhi Chalisa Lyrics

|| Maa Baglamukhi Chalisa ||

Doha

Namo Mahavidha Barad, Baglamukhi Dayal.
Stambhan Kshan Me Kare, Sumrit Arikul Kaal.

Choupai

Namo Namo Pitambara Bhavani, Baglamukhi Namo Kalyani.

Bhakt Vatsala Shatru Nashani, Namo Mahavidha Vardani.

Amrit Sagar Bich Tumhara, Ratna Jadit Mani Mandit Pyara.

Swarn Sinhasan Par Aasina, Pitambar Ati Divya Navina.

Swarnbhushan Sundar Dhare, Sir Par Chandra Mukut Shringare.

Tin Netra Do Bhuja Mrinala, Dhare Mudgar Pash Karala.

Bhairav Kare Sada Sevkai, Siddh Kaam sab Bighna Nasayi.

Tum Hatash Ka Nipat Sahara, Kare Akinchan Arikal Dhara.

Tum Kali Tara Bhuvneshi, Tripur Sundari Bhairavi Veshi.

Chhinnbhal Dhuma Matangi, Gayatri Tum Bagla Rangi.

Sakal Shaktiyaan Tum Me Saajen, Hrin Bij Ke Bij Biraje.

Dusht Stambhan Arikul Kilan, Maran Vashikaran Sammohan.

Dushtochchatan Karak Mata, Ari Jivha Kilak Saghata.

Sadhak Ke Vipati Ki Trata, Namo Mahamaya Prakhyata.

Mudgar Shila Liye Ati Bhari, Pretasan Par Kiye Sawari.

Tin Lok Das Disha Bhavani, Bicharahu Tum Hit Kalyani.

Ari Arisht Soche Jo Jan Ko, Buddhi nashkar Kilak Tan Ko.

Hath Panw Bandhahun Tum Take, Hanahu Jibh Bich Mudgar Baake.

Choron Ka Jab Sankat Aave, Ran Me Ripuon Se Ghir Jaave.

Anal Anil Biplav Ghahrave, Vaad Vivad Na Nirnay Paave.

Mooth Aadi Abhicharan Sankat, Rajbhiti Aapatti Sannikat.

Dhyan Karat Sab Kasht Nasawe, Bhut Pret Na Badha Aawe.

Sumirat Raajdwar Bandh Jaave, Sabha Bich Stambhvan Chaave.

Naag Sarp Brachirshrakadi Bhayankar, Khal Vihang Bhagahin Sab satvar.

Sarv Rog Ki Nashan Haari, Arikul Moolachchatan kaari.

Stree Purush Raaj Sammohak, Namo Namo Pitambar Sohak.

Tumko Sada Kuber Manawe, Shri Samriddhi Suyash Nit Gaaven.

Shakti Shourya Ki Tumhi Vidhata, Dukh Daridra Vinashak Mata.

Yash Aishwarya Siddhi Ki Data, Shatru Naashini Vijay Pradata.

Pitambara Namo kalyani, Namo Mata Bagla Maharani.

Jo Tumko Sumre Chitlaayi, Yog Kshem Se Karo Sahayi.

Aapatti Jan Ki Turat Nivaro, Aadhi Vyadhi Sankat Sab Taaro.

Puja Vidhi Nahi Jaanat Tumhari, Arth Na Aakhar Karahun Nihori.

Main Kuputra Ati Nival Upaya, Hath Jod Sharnagat Aaya.

Jag Me Keval Tumhin Sahara, Sare Sankat Karahun Nivara.

Namo Mahadevi He Mata, Pitambara Namo Sukhdata.

Somya Rup Dhar Banti Mata, Sukh Sampati Suyash Ki Data.

Rodra Rup Dhar Shatru Sanharo, Ari Jivha Me Mudgar Maaro.

Namo Mahavidha Aagara, Aadi Shakti Sunadari Aapara.

Ari Bhanjak Vipatti Ki Trata, Daya Karo Pitambari Mata.

Doha

Riddhi Siddhi Data Tumhin, Ari Samool Kul Kaal.
Meri Sab Badha Haro, Maa Bagle Tatkaal.

बगलामुखी चालीसा का महत्व (Importance)

  • बगलामुखी चालीसा पाठ के माध्यम से बगलामुखी माता की आराधना और स्तुति की जाती है.
  • माँ बगलामुखी माँ दुर्गा, माँ पार्वती का ही रूप मानी जाती है.
  • दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या माँ बगलामुखी ही है.
  • इन्हें पीताम्बरा माता के नाम से भी जाना जाता है.
  • बगलामुखी माता परमात्मा की संहार शक्ति है.
  • शत्रुओं के नाश के लिए पीताम्बरा माता की आराधना और स्तुति करना फलदाई माना गया है.
  • सम्पूर्ण श्रृष्टि में जो भी तरंग है वह माँ बगलामुखी की वजह से ही है.
  • बगलामुखी माता की आराधना के लिए बगलामुखी चालीसा का भक्तिपूर्वक पाठ करना एक सरल माध्यम माना जाता है.
  • माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ से मन से भय का नाश होता है और विपरीत परिस्थिति में भी भय नहीं लगता है.
  • बगलामुखी माता का साधक किसी भी परिस्थिति में आत्मबिस्वास से भरा होता है और विपरीत परिस्थितियों का साहस के साथ सामना करता है.
माँ बगलामुखी का एक और प्रचलित नाम कौन सा है?

बगलामुखी माता का एक और प्रचलित नाम पीताम्बरा माता है.

माँ बगलामुखी कौन सी महाविद्या है?

दस महाविद्याओं में बगलामुखी माता आठवीं महाविद्या है. इन्हें पार्वती माता का उग्र स्वरुप माना जाता है.

सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक माँ बगलामुखी की आराधना और स्तुति करें.

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