Skandmata ― In this post, we are publishing Mantra, Stotra and Aarti for the worship of Skandmata. Along with this, we are also publishing some important religious information about Skandmata.
स्कंदमाता ― इस पोस्ट में हम स्कंदमाता के बारे में कुछ धार्मिक जानकारी दे रहें हैं. साथ ही हम स्कंदमाता की आराधना और स्तुति के लिए स्कंदमाता मंत्र, स्तोत्र और आरती का प्रकाशन कर रहें हैं.
इन सबसे आप सबको स्कंदमाता की पूजा आराधना करने में सुविधा होगी.
नमस्कार, स्वागत है आप सबका आप सबके अपने वेबसाइट सोनाटुकु डॉट कॉम पर. माँ दुर्गा की पांचवी शक्ति स्वरुप स्कंदमाता की आराधना करना अत्यंत ही मंगलकारी होती है.
सबसे पहले हम स्कंदमाता के बारे में कुछ धार्मिक जानकारी प्राप्त करतें हैं.
स्कंदमाता (Skandmata)
देवी स्कंदमाता माँ दुर्गा की पांचवी शक्ति स्वरुप है. नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता के स्वरुप की पूजा अर्चना की जाती है.
आप सबको बता दें की कुमार कार्तिकेय को स्कन्द के नाम से जाना जाता है. कार्तिकेय की माता होने के कारण माँ पार्वती जो की स्वयं आदिशक्ति माँ दुर्गा हैं, के इस रूप को स्कंदमाता के नाम से इस संसार में पूजा जाता है.
जैसा की आप सबको पता ही है की कार्तिकेय महादेव शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं. वे देवताओं के सेनापति भी हैं. भगवान कार्तिकेय को मुरुगन भगवान के नाम से भी पूजा जाता है.
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. इनकी दो भुजाओं में कमल पुष्प और एक भुजा वर मुद्रा में हैं. एक भुजा से माता ने बालरूप कार्तिकेय को पकड़ रखा है.
कुमार कार्तिकेय अपने बाल रूप में स्कंदमाता के गोद में हैं. माँ स्कंदमाता सिंह पर सवार हैं. इनका रूप पुर्णतः शुभ्र है. देवी स्कंदमाता कमल पर आसीन हैं. इस कारण से माँ स्कंदमाता को पद्मासना भी कहा जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ स्कंदमाता का प्रभाव बुद्ध ग्रह पर है. इस कारण से अगर किसी मनुष्य को बुध ग्रह के कारण कोई कष्ट या समस्या हो तो उसे देवी स्कंदमाता की सच्चे ह्रदय से आराधना करनी चाहिए.
आप सबको बता दें की माँ स्कंदमाता की पूजा आराधना करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होती है. देवी स्कंदमाता की पूजा करने से बालरूप श्री कार्तिकेय भगवान की भी पूजा अपने आप ही हो जाती है.
देवी स्कंदमाता अत्यंत ही दयालु और अपने बच्चों की रक्षा के लिए सदेव तत्पर रहती हैं. अपने भक्तों की समस्त शुभ इच्छाओं को माता स्कंदमाता पूर्ण करती हैं.
स्कंदमाता मंत्र (Skandmata Mantra)
देवी स्कंदमाता की निचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करते हुए आराधना करें.
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
स्कंदमाता प्रार्थना मंत्र
माँ स्कंदमाता से प्रार्थना के लिए आप इस मंत्र का ह्रदय से पाठ करें.
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्कंदमाता स्तुति मंत्र
इस स्तुति मंत्र के पाठ से माँ स्कंदमाता की स्तुति करें.
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
स्कंदमाता ध्यान मंत्र
इस मंत्र का पाठ करते हुए ह्रदय में माँ स्कंदमाता का ध्यान करें.
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥
स्कंदमाता स्तोत्र (Skandmata Stotra)
माँ स्कंदमाता स्तोत्र का सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ पाठ करें.
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्
तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।
सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥
स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥
देवी स्कंदमाता कवच (Skandmata Kavach)
माँ स्कंदमाता कवच का पाठ करना मनुष्य के लिए अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होती है.
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा॥
वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥
स्कंदमाता की आरती | Skandmata Ki Aarti
माँ स्कंदमाता की आरती का प्रकाशन हमने इस पोस्ट पर पहले से किया हुआ है. आप उपर दिए गये लिंक पर क्लीक करके आरती वाले पेज पर जा सकतें हैं.
देवी आदिशक्ति पार्वती के पांचवे रूप को स्कंदमाता कहा जाता है. भगवान कार्तिकेय को स्कन्द में नाम से भी जाना जाता है. देवताओं के सेनापति भगवान श्री स्कन्द की माता होने के कारण माँ पार्वती के इस रूप को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है.
आज के इस पोस्ट में इतना ही. आप सबको यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में अवस्य लिखें. साथ ही इस साईट के किसी भी पोस्ट में अगर किसी भी प्रकार के सुधार की आवश्यकता हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में अवस्य लिखें. हमारी टीम के द्वारा उसे अवस्य देखा जाएगा और आवश्यकता के अनुसार जरुरी सुधार किया जायेगा.
माँ दुर्गा की पावन कृपा आप सब पर बनी रहें. जय माँ दुर्गा.
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