Narasimha Jayanti 2024 Date | नरसिम्हा जयंती 2024 जानकारी – नरसिम्हा जयंती को नरसिंह जयंती या नृसिंह जयंती के नाम से भी जाना जाता है.
इस पोस्ट में हम नरसिम्हा जयंती कब है? नरसिम्हा जयंती 2024 तारीख और समय तथा नरसिम्हा जयंती के महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.
नमस्कार, स्वागत है आप सबका सोनाटुकु डॉट कॉम पर. भगवान श्री विष्णु के चौथे अवतार को नरसिंह भगवान के नाम से जाना जाता है.
भगवान श्री विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मारने के लिए और इस धरा को उसके अत्याचारों से मुक्त करने के लिए नरसिंह भगवान के रूप में अवतार लिया था.
उनके इस नरसिंह अवतार लेने के उपलक्ष्य को हम सब नरसिम्हा जयंती या नरसिंह जयंती के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाते हैं.
चलिए अब हम सब साल 2024 में नरसिम्हा जयंती कब है? (Narasimha Jayanti 2024 Date) के बारे में जानकारी प्राप्त करतें हैं.
Narasimha Jayanti 2024 Date – नरसिम्हा जयंती कब है?
वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिम्हा जयंती मनाई जाती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन श्री विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था.
साल 2024 में नरसिम्हा जयंती | नरसिंह जयंती 22 मई 2024, दिन बुधवार को है.
नरसिम्हा जयंती 2024 तारीख नरसिंह जयंती 2024 तारीख | 22 मई 2024, बुधवार |
Narasimha Jayanti 2024 Date Narsingh Jayanti 2024 Date | 22 May 2024, Wednesday |
इस दिन भगवान श्री विष्णु के नरसिंह रूप की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन उपवास रखने का भी बहुत अधिक धार्मिक महत्व है.
जिस तरह से श्री विष्णु की आराधना के लिए और श्री विष्णु भगवान की कृपा पाने के लिए एकादशी का व्रत किया जाता है. ठीक उसी तरह इस दिन भी व्रत रखना और श्री विष्णु की आराधना करनी चाहिए.
22 मई 2024, बुधवार को व्रत रखा जाएगा और 23 मई 2024, दिन गुरुवार को 05:04 am के बाद इस व्रत का पारण किया जाएगा.
चलिए अब हम वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि कब प्रारंभ हो रही है और कब समाप्त हो रही है के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेतें हैं.
वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि के बारे में जानकारी
चूँकि नरसिम्हा जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है और चतुर्दशी तिथि को ही व्रत करने का विधान है. इस कारण से हमने यहाँ वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि के प्रारंभ और समाप्त होने के समय की जानकारी दी हुई है.
वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ | 21 मई 2024, मंगलवार 05:39 pm |
वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि समाप्त | 22 मई 2024, बुधवार 06:47 pm |
23 मई 2024, दिन गुरुवार को प्रातः काल 05:04 am के बाद कभी भी व्रत का पारण किया जा सकता है.
नरसिम्हा जयंती का महत्व (Importance of Narasimha Jayanti | Narsingh Jayanti)
- नरसिम्हा जयंती एक अत्यंत ही शुभ और पवित्र दिन है.
- इस दिन भगवान श्री विष्णु ने नरसिंह भगवान के रूप में अपना चौथा अवतार धारण किया था.
- भगवान श्री विष्णु की आराधना और स्तुति करने का यह एक बहुत ही पवित्र दिन है.
- नरसिम्हा जयंती असत्य पर सत्य की जीत का, अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतिक है.
- इस दिन श्री विष्णु ने नरसिंह रूप धर कर असत्य और नकारात्मक शक्ति के प्रतिक हिरण्यकश्यप का वध किया था.
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नरसिम्हा जयंती के दिन श्री विष्णु की सच्चे ह्रदय से आराधना करने से श्री विष्णु की परम कृपा की प्राप्ति होती है.
- भगवान श्री विष्णु की कृपा से नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है. आरोग्य की प्राप्ति होती है. भय का नाश होता है. आत्मबल में बृद्धि होती है.
नरसिंह जयंती की कथा (Story of Narasimha Jayanti)
भगवान श्री विष्णु के नरसिंह रूप में अवतार लेने की कथा होलिका दहन और होली से संबंद्धित है.
हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा की कठिन तपस्या के फलस्वरूप वरदान प्राप्त किया था. इस वरदान के अनुसार हिरण्यकश्यप की मृत्यु ना तो देवता और न ही मनुष्य के हाथों, न तो दिन में ना तो रात में, न तो घर के भीतर और न ही घर के बाहर, न तो अस्त्र से और न शस्त्र से, न जमीन पर न आकाश में हो सकती थी.
हिरण्यकश्यप श्री विष्णु की अपना परम शत्रु मानता था. उसने स्वयं को भगवान घोषित कर रखा था. वह ऋषियों तथा अन्य सभी लोगों से उसकी भक्ति और पूजा करने को कहता था.
अपने वरदान की शक्ति के कारण वह अत्यंत ही शक्तिशाली हो चूका था. उसने तीनों लोकों पर अपना विजय करने का प्रयास आरम्भ कर दिया था.
हिरण्यकश्यप को एक प्रहलाद नाम का पुत्र था. प्रहलाद श्री विष्णु का अनन्य भक्त था. वह हमेशा से श्री विष्णु की भक्ति और उनका नाम स्मरण करता रहता था.
हिरण्यकश्यप ने कई तरीकों से उसे समझाना चाहा की वह श्री विष्णु की भक्ति छोड़ दें और अपने पिता हिरण्यकश्यप की भक्ति करें.
उसने कई प्रकार से प्रहलाद को दण्डित करने की कोशिश की ताकि वह श्री विष्णु की भक्ति छोड़ दें. परन्तु प्रहलाद श्री विष्णु का अनन्य भक्त था.
एक दिन उसने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि कुण्ड में बैठ जाने को कहा. होलिका को वरदान प्राप्त था की अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है.
होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि कुण्ड में बैठ गई. परन्तु श्री विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जल कर भष्म हो गई.
अंत में हिरण्यकश्यप ने क्रोद्ध में अपने पुत्र से पूछा की श्री विष्णु कहाँ हैं? इस पर प्रहलाद ने कहा की श्री विष्णु इस जगत के कण कण में है.
हिरण्यकश्यप ने एक स्तम्भ को दिखाते हुए पूछा की क्या इस स्तम्भ में भी श्री विष्णु हैं? तो प्रहलाद ने कहा हाँ, इस स्तम्भ में भी श्री विष्णु हैं.
इस पर हिरण्यकश्यप ने उस स्तम्भ पर प्रहार किया. उस स्तम्भ से श्री विष्णु नरसिंह रूप में प्रकट हुए.
नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप को उठाकर चौखट पर लाये और अपने नाखुनो से उसका वध कर दिया.
वह समय सायंकाल का था. नरसिंह रूप में श्री विष्णु ने आधा नर और आधा सिंह का रूप धारण किया था.
भगवान नरसिंह की जयंती को ही हम सब नरसिम्हा जयंती के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाते हैं.
भगवान श्री विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान के रूप में लेने के उपलक्ष्य को हम सब नरसिम्हा जयंती के रूप में मनाते हैं.
श्री विष्णु भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध करने और उसके अत्याचारों से इस संसार को मुक्त करने के लिए नरसिंह भगवान के रूप में अवतार लिया था.
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