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Ganga Saptami 2024 | गंगा सप्तमी कब है?

Ganga Saptami | गंगा सप्तमी – गंगा सप्तमी को गंगा जयंती (Ganga Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है. इस पोस्ट में हम सब गंगा सप्तमी कब है? गंगा सप्तमी 2024 तारीख (Ganga Saptami 2024 Date) तथा गंगा सप्तमी का महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.

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नमस्कार, स्वागत है आप सबका सोनाटुकु डॉट कॉम पर. गंगा मैया की पूजा करने और गंगा मैया की आराधना और स्तुति करने के लिए गंगा सप्तमी जिसे हम सब गंगा जयंती भी कहतें हैं, एक अत्यंत ही शुभ और महत्वपूर्ण दिन है.

माँ गंगा का हमारे देश में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है. धार्मिक कथाओं के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन गंगा का पुनर्जन्म हुआ था. इस संबंद्ध में हम आगे इस पोस्ट में चर्चा करेंगे.

चलिए सबसे पहले हम साल 2024 में गंगा सप्तमी कब है? के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेतें हैं.

गंगा सप्तमी कब है? गंगा जयंती कब है? Ganga Saptami 2024, Ganga Jayanti 2024

वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती मनाई जाती है.

साल 2024 में गंगा सप्तमी 14 मई 2024, दिन मंगलवार को है. इसी दिन गंगा जी की जयंती भी मनाई जायेगी.

गंगा सप्तमी 2024 तारीख | गंगा जयंती 2024 तारीख 14 मई 2024, मंगलवार
Ganga Saptami 2024 Date | Ganga Jayanti 2024 Date14 May 2024, Tuesday

अब हम वैशाख महीने की सप्तमी तिथि कब प्रारंभ हो रही है और कब समाप्त हो रही है? के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेतें हैं.

वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि के बारे में जानकारी

जैसा की आप सब लोगों को जानकारी हो चुकी है की गंगा जयंती या गंगा सप्तमी वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस कारण से हमने यहाँ वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि के प्रारंभ और समाप्त होने के समय की जानकारी दी हुई है.

वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि प्रारंभ14 मई 2024, मंगलवार
02:50 am
वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि समाप्त15 मई 2024, बुधवार
04:19 am

गंगा सप्तमी या गंगा जयंती से संबंद्धित कथा

गंगा दशहरा (Ganga Dashhara) के दिन गंगा इस पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. गंगा का प्रवाह इतना तेज था की इससे गंगा के पाताल में समा जाने या इस पृथ्वी के असंतुलित हो जाने का खतरा था. इस कारण से महादेव शिव ने अपने जटा में गंगा को समा लिया.

कुछ समय के पश्चात महादेव शिव ने गंगा को अपनी जटा से मुक्त किया, ताकि गंगा भगीरथ के पूर्वजों को मुक्ति प्रदान कर सके. गंगा भगीरथ के बताये रास्ते पर चलने लगी.

रास्तें में गंगा के प्रचंड वेग से ऋषि जाहनु का आश्रम नष्ट हो गया. इससे ऋषि जाहनु कुपित हो गए. उन्होंने सम्पूर्ण गंगा के जल को पी लिया.

इस घटना के पश्चात भगीरथ और अन्य देवताओं ने ऋषि जाहनु से गंगा को मुक्त करने के लिए प्रार्थना की ताकि गंगा इस जगत के जनों का कल्याण कर सके.

इस पर ऋषि जाहनु ने गंगा को अपने कान से प्रवाहित कर मुक्त कर दिया और गंगा अपने पथ पर अग्रसर हो चली.

धार्मिक कथाओं के अनुसार ऋषि जाहनु ने गंगा को वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मुक्त किया था. इस कारण से इस दिन को गंगा के पुनर्जन्म के नाम से भी जाना जाता है और इसे गंगा जयंती और जाहनु सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है.

इस घटना के कारण गंगा का एक नाम ऋषि जाहनु की पुत्री जाह्नवी भी है.

गंगा सप्तमी का महत्व (Importance of Ganga Saptami)

  • गंगा सप्तमी माँ गंगा की आराधना और स्तुति करने का एक पवित्र और उत्तम दिन है.
  • इस दिन गंगा माँ की पूजा करना और उनकी आराधना करना अत्यंत ही शुभ माना गया है.
  • गंगा सप्तमी के दिन गंगा में स्नान करने का भी अत्यंत ही धार्मिक महत्व है.
  • गंगा माता इस जगत के समस्त प्राणियों के पापों को नष्ट करने की शक्ति रहती है.
  • इस जगत को पवित्र करने की शक्ति माँ गंगा में है.
  • गंगा से हमारा आध्यात्मिक और धार्मिक जुड़ाव सदियों से रहा है.
  • गंगा को स्वच्छ और निर्मल रखने का प्रण लेने का यह एक उत्तम दिन है.

इस पोस्ट में दी गयी जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट में अवस्य लिखियेगा. कमेंट बॉक्स में जय गंगा मैया अवस्य लिखिए.

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