2025 Holi Kab Hai? होली कब है? – इस पोस्ट में हम होली त्यौहार से संबंद्धित सभी जानकारियाँ आप सबको प्रदान करेंगे.
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इस पोस्ट में हम जानेंगे होली कब है? होली 2025 में कब मनाई जायेगी? होली का शुभ मुहूर्त, होली क्यों मनाई जाती है? होली त्यौहार का क्या महत्व है? आदि
अगर आप भी रंगों के इस त्यौहार की मस्ती में खुद को डुबाना चाहतें हैं तो इस पोस्ट में आपके लिए सभी जानकारी दी गयी है.
अगर आप होली से संबंद्धित सभी जानकारियाँ चाहतें हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें.
अगर आप होली से संबंद्धित किसी ख़ास जानकारी के लिए इस पोस्ट में आये हैं तो निचे टेबल ऑफ़ कंटेंट में से अपनी जानकारी वाले हैडिंग को चुन सकतें हैं.
महादेव शिव से संबंद्धित इस पोस्ट शिवरात्रि – महाशिवरात्रि कब है? पूजा विधि को भी आप अवस्य देखें.
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होली के बारे में जानकारी Information about Holi Festival in Hindi
विडियो श्रोत : यूट्यूब स्टार भारत
होली भारत के साथ विश्व के अन्य देशों में भी अत्यंत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
यह रंगों का और एक दुसरे से खुशीयों को बांटने का त्यौहार है.
हम सब भारतियों का तो होली एक अत्यंत ही प्रमुख त्यौहार है.
होली को हम सब रंगों का त्यौहार कहतें हैं.
यह त्यौहार हम सबके जीवन को रंगीन बनाने आती है. वैसे भी हमारा देश भारत तो त्योहारों का देश है.
होली हम सबके जीवन को खुशियों से भर देती है.
होली राग और रंग का त्यौहार माना जाता है. इस त्यौहार में रंगों के साथ-साथ संगीत का भी काफी महत्व है.
यह मुख्यतः दो दिनों का त्यौहार है. पहले दिन होलिका दहन होता है और उसके दुसरे दिन होली मनाई जाती है.
होली के दिन हम सब एक दुसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगातें हैं. एक दुसरे से गले मिलतें हैं और खुशियाँ बांटते हैं.
इस दिन कई तरह के पकवान बनाये जातें हैं. जिसे हम खुद भी खातें हैं और अपने दोस्तों रिश्तेदारों को भी खिलातें हैं.
Holi Kab Hai? होली कब है?
होली का उत्सव प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में एक साथ फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि के बाद वाले दिन अर्थात चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है.
Holi Kab Hai? होली कब है? | चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि |
होली 2025 तारीख (होली 2025 में कब है?)
Holi 2025 Me Kab Hai? होली 2025 में कब है?
रंगों का त्यौहार होली साल 2025 में 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार को है.
Holi 2025 Me Kab Hai? होली 2025 में कब है? | 14 मार्च 2025, शुक्रवार |
होली शुभ मुहूर्त
होली का उत्सव 14 मार्च 2025, शुक्रवार को आप दिन भर मना सकतें हैं.
अब हम फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेतें हैं.
फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ | 13 मार्च 2025, गुरुवार 10:35 ए एम |
फाल्गुन पूर्णिमा समाप्त | 14 मार्च 2025, शुक्रवार 12:23 पी एम |
होली क्यों मनाई जाती है? (Holi Kyon Manai Jati Hai?)
होली मनाने के संबंद्ध में कई कथाएं प्रचलित है. इनमे से सबसे महत्वपूर्ण कथा है भक्त प्रहलाद की. इस कथा से आप सभी अवस्य परिचित होंगे. परन्तु फिर भी हम निचे इस कथा को संक्षेप में प्रस्तुत कर रहें हैं.
इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक एक बलशाली असुर राज करता था.
हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझता था. वह खुद को इस श्रृष्टि में सर्वश्रेष्ठ समझता था. भगवान श्री विष्णु के प्रति उसके मन में अत्यंत ही बैर भाव था.
हिरण्यकश्यप के पुत्र का नाम प्रहलाद था. प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था.
प्रहलाद को कई तरीकों से समझाया गया की भगवान श्री विष्णु की भक्ति न करे. अपने पिता हिरण्यकश्यप की भक्ति करे.
परन्तु प्रहलाद का मन हमेशा ही श्री विष्णु की भक्ति में ही लगा रहता. उसे तरह तरह से दण्डित किया गया. ताकि वह श्री विष्णु की भक्ति छोड़ दे. परन्तु प्रहलाद भगवान श्री विष्णु की भक्ति में ही लगा रहा.
हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसका नाम होलिका था. उसे वरदान प्राप्त था की अग्नि उसे नहीं जला सकती है.
हिरण्यकश्यप के आदेश के अनुसार होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि पर बैठ गई.
परन्तु प्रहलाद को इससे कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जल कर भष्म हो गई.
उस घटना की याद में प्रत्येक वर्ष हम सब होलिका दहन मनाते हैं. और भक्त प्रहलाद के विष्णु भक्ति के कारण बचने की ख़ुशी में होली मनातें हैं.
अंत में भगवान श्री विष्णु ने नरसिंह रूप धर कर हिरण्यकश्यप का वध किया.
होलिका दुष्ट और नकारात्मक शक्ति के प्रतिक के रूप में जलाई जाती है.
होली प्रहलाद की भक्ति, ख़ुशी और उल्लास के रूप में मनाई जाती है.
इस कथा के अतिरिक्त होली का उत्सव भगवान श्री कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षसी पूतना का वध किया था. इस ख़ुशी में होली मनाई जाती है.
यह भगवान श्री कृष्ण के रासलीला से भी जुड़ा हुआ है.
होली कुछ मायनों में भगवान शिव से भी जुड़ा हुआ है.
एक मान्यता के अनुसार इस दिन कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था.
होली का महत्व (Holi Tyohar Ka Mahatwa)
- होली रंगों का और खुशीयों का उत्सव है.
- इस दिन हम सब बैर भाव मिटाकर एक दुसरे को रंग लगातें हैं और गले मिलतें हैं.
- होली का उत्सव समाज में दोस्ती और भाईचारा को बढ़ावा देने वाला उत्सव है.
- होली का उत्सव जीवन में खुशियाँ लेकर आता है.
- धार्मिक रूप से भी होली का बहुत अधिक महत्व है.
- यह नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतिक है.
- होली का उत्सव भगवान श्री कृष्ण की भक्ति से जुड़ा हुआ है.
- भगवान श्री कृष्ण से संबंधित जगहों की होली काफी प्रसिद्द है.
- मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, गोवर्धन, गोकुल की होली सम्पूर्ण विश्व में अत्यंत ही प्रसिद्ध है.
- बरसाना की लट्ठमार होली तो बहुत ही रोचक है.
होली का त्यौहार कैसे मनाएं? (Holi Ka Tyohar Kaise Manaye)
होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है. इस दिन आप अग्नि की पूजा करें.
होलिका दहन की अग्नि की प्रक्रिमा करना भी अत्यंत ही शुभ माना जाता है.
दुसरे दिन प्रातः काल स्नान आदि करने के पश्चात अपने इष्ट देवों को रंग और अबीर अर्पित करें.
बहुत जगह होली के दिन अपने इष्ट देव देवी को प्रसाद का भोग लगाया जाता है.
उसके पश्चात आप सबसे पहले अपने से बड़े सभी के चरणों में अबीर लगाएं और उनका आशीर्वाद लें.
बड़े भी अपने से छोटों को आशीर्वाद दें और उनके माथे पर तिलक लगाएं. साथ ही रंग अबीर भी लगाएं.
उसके पश्चात आप अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ होली खेल सकतें हैं.
होली के रंगों में प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना अच्छा होता है. केमिकल वाले रंगों का प्रयोग नहीं करें.
किसी को भी जबरदस्ती रंग नहीं लगाएं. सभी के साथ प्रेम और आदर के साथ पेश आयें.
आज के इस पोस्ट में बस इतना ही. आप हमें निचे कमेंट करके बताएं की इस पोस्ट में दी गयी जानकारी आपको कैसी लगी.
होली प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि के बाद वाले दिन को मनाई जाती है.
होली त्यौहार को धुलेंडी, फाग, फगुआ, शिमगो, बसंत उत्सव, योशांग, फगवाह आदि नामो से भी जाना जाता है.
साथ ही आप हमें इस पोस्ट में सुधार के बारे में कोई सुझाव आदि दे सकतें हैं.
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