शिवरात्रि – महाशिवरात्रि कब है? – Shivratri – Mahashivratri 2025 | शिवरात्रि – महाशिवरात्रि 2025 – महादेव शिव के भक्तों के लिए अत्यंत ही पावन और महत्वपूर्ण दिन होता है.
यह दिन शिव और शक्ति के एक साथ मिलने का दिन हैं. इसी दिन महादेव शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था.
महाशिवरात्रि का त्यौहार हम सबका विशेष कर महादेव शिव और माता पार्वती के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार और उत्सव का दिन होता है.
आज के इस पोस्ट में हम महाशिवरात्रि से संबंधित सभी जानकारियों को आपके साथ साझा कर रहें हैं.
शिवरात्रि
शिवरात्रि प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस तरह से वर्ष में 12 शिवरात्रि मनाई जाती है.
शिवरात्रि का अर्थ होता है शिव की रात्रि, अर्थात वह रात्रि जो अत्यंत ही आनंद प्रदायक है और जिसका संबंद्ध देवाधिदेव महादेव शिव से है.
प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आप उपवास रख कर और महादेव शिव और माता पार्वती की आराधना और स्तुति कर आप शिवरात्रि मनाये.
महाशिवरात्रि
फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जो शिवरात्रि मनाई जाती है, उसे हम सब महाशिवरात्रि कहतें हैं.
यह सभी में सबसे श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण है.
आज के इस पोस्ट में हम महाशिवरात्रि के बारे में ही चर्चा करेंगे.
महाशिवरात्रि हम सबका एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है.
सम्पूर्ण भारत के साथ साथ अन्य देशों में भी जहाँ भारतीय रहतें हैं वहां वहां महाशिवरात्रि का उत्सव अत्यंत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
इस दिन भगवान शिव के मंदिरों को अच्छे से सजाया जाता है.
बहुत जगह इस दिन भव्य तरीके से शिव बारात निकाली जाती है.
इस दिन शिव जी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
Mahashivratri Kab Hai? महाशिवरात्रि कब है?
महाशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है.
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.
Mahashivratri 2025 Date महाशिवरात्रि 2025 तारीख
साल 2025 में महाशिवरात्रि का त्यौहार 26 फ़रवरी 2025, दिन बुधवार को मनाई जायेगी.
महाशिवरात्रि 2025 तारीख | 26 फ़रवरी 2025, बुधवार |
महाशिवरात्रि 2025 शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त निचे दिया गया है. आप अपने हिसाब से एक बार या चार बार शिवरात्रि की पूजा कर सकतें हैं.
महाशिवरात्रि निशिता काल पूजा शुभ मुहूर्त | 26 फ़रवरी 2025, बुधवार – 11:37 pm 27 फ़रवरी 2025, गुरुवार – 12:26 am |
निशिता काल में महाशिवरात्रि की पूजा करना सबसे शुभ माना गया है.
इसके अलावा आप रात्रि के चार प्रहर के हिसाब से भी पूजा कर सकतें हैं. आप एक बार या फिर चारों प्रहर में शिवरात्रि पूजा कर सकतें हैं.
सभी चार प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त निचे टेबल में दिया हुआ है.
पूजा | तारीख | शुभ मुहूर्त |
प्रथम प्रहर पूजा | 26 फ़रवरी 2025, बुधवार | 05:50 पी एम से 08:56 पी एम |
द्वितीय प्रहर पूजा | 26 फ़रवरी 2025, बुधवार 27 फ़रवरी 2025, गुरुवार | 08:56 pm से 12:01 am |
त्रितीय प्रहर पूजा | 27 फ़रवरी 2025, गुरुवार | 12:01 ए एम से 03:07 ए एम |
चतुर्थ प्रहर पूजा | 27 फ़रवरी 2025, गुरुवार | 03:07 ए एम से 06:12 ए एम |
अब हम महाशिवरात्रि व्रत के पारण के समय के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेतें हैं.
महाशिवरात्रि व्रत पारण समय
महाशिवरात्रि व्रत पारण समय | 27 फ़रवरी 2025, गुरुवार – 06:12 am – 08:54 am |
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि की पूजा के लिए आप व्रत अवस्य रखें, (अगर सक्षम हो तो). निचे हमने कुछ बातों के बारे में बताया है जिसका ध्यान आप रखें.
- महाशिवरात्रि से एक दिन पहले अर्थात फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को एक बार ही और सात्विक भोजन करें.
- महाशिवरात्रि के दिन आप व्रत का संकल्प लें.
- सर्वप्रथम आप प्रातः काल उठकर अपनी नित्य क्रिया करके स्नान आदि करने के पश्चात खुद को स्वच्छ और पवित्र कर लें.
- उसके पश्चात भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर के सामने खड़े होकर व्रत का संकल्प लें. भगवान शिव से अपने व्रत के लिए शक्ति की मांग करें.
- संध्याकाल में आप स्नान आदि करने के पश्चात उपर बताये गए समय के अनुसार भगवान शिव की पूजा अर्चना करें.
- आप मंदिर में या फिर घर में भी भगवान शिव की आराधना कर सकतें हैं.
- उपर हमने पूजा का शुभ मुहूर्त दिया हुआ है. आप अपने हिसाब से पूजा कर सकतें हैं.
- भगवान शिव की पूजा सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें.
- शिव चालीसा, शिव मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप करें.
- इसके अलावा आप शिवाष्टकम, रुद्राष्टकम आदि का भी पाठ कर सकतें हैं.
- भगवान शिव की आरती भी करें.
- महाशिवरात्रि की अलग आरती भी उपलब्द्ध है उसे भी कर सकतें हैं.
- महाशिवरात्रि में रात्री जागरण भी आप अगर सक्षम हैं तो कर सकतें हैं.
- अगर आप महाशिवरात्रि में रात्री जागरण करते हैं तो आप ॐ नमः शिवाय महामंत्र का जाप करते रहें.
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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? इस सवाल का जवाब आज हम यहाँ देने की कोशिश करेंगे.
अधिकतर लोगों को यह जानकारी है की महाशिवरात्रि को महादेव शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था.
महादेव शिव और मत पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य को हम सब प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं.
यह भी एक दम सही है.
हम सब प्रत्येक वर्ष महादेव शिव और माता पार्वती के विवाह के दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं.
इसके अलावा भी कई कथा महाशिवरात्रि के संबंद्ध में प्रचलित है. हम इनमे से एक कथा के बारे में निचे चर्चा कर रहें हैं.
यह कथा है समुद्र मंथन की. समुद्र मंथन में जब हलाहल विष निकला तो सारी श्रृष्टि इस विष के प्रभाव से त्राहि त्राहि करने लगी.
तो महादेव शिव ने इस जगत के कल्याण के लिए उस हलाहल विष को पी लिया. महादेव शिव ने उस विष को अपने कंठ में रख लिया.
विष का प्रभाव अत्यंत ही तीक्ष्ण था. इस कारण से महादेव शिव का कंठ नीला पर गया. इस कारण से महादेव शिव नीलकंठ कहलाये.
इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए महादेव शिव के लिए रात्री जागरण का परामर्श दिया गया.
देवताओं ने महादेव शिव की आराधना और शिव के सानिध्य पाने के लिए और महादेव शिव के रात्री जागरण के लिए सम्पूर्ण रात्री महादेव शिव की स्तुति और आराधना की. और महादेव शिव को रात भर जगाये रखा.
प्रातः काल होने पर महादेव शिव ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया.
उस दिन से ही महाशिवरात्रि उत्सव की शुरुआत हुई.
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं?
महाशिवरात्रि में महादेव शिव की आराधना और स्तुति करना अत्यंत ही शुभ है. इस दिन शिवलिंग की पूजा और अभिषेक करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है.
शिवलिंग पर क्या चढ़ाना है? यह हम निचे बता रहें हैं. आप इसका ध्यान अवस्य रखें.
महादेव शिव की स्तुति के लिए आप शिवलिंग का पवित्र जल से अभिषेक कर सकतें हैं. इसे जलाभिषेक कहा जाता है.
आप दूध से भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकतें हैं. इसे दुग्धाभिषेक कहा जाता है.
इसके अलावा आप शिवलिंग का घृत और मधु से भी अभिषेक कर सकतें हैं.
महादेव शिव को गंगाजल अत्यंत ही प्रिय है. इस कारण से शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाना अत्यंत ही शुभ माना जाता है.
इसके अलावा आप शिवलिंग को धुप दीप दिखाएँ.
बिल्वपत्र भी महादेव शिव को अति प्रिय है. शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाना अत्यंत ही शुभ माना जाता है.
आप महादेव शिव को पुष्प, और पुष्प माला चढ़ा सकतें हैं.
धतुरा के फूल, और मदार के फूल महादेव शिव को अर्पण करना अत्यंत ही शुभ है.
इसके अलावा आप श्रद्धा के साथ अनाज, सिंदूर, अबीर, सुपारी, पान पत्ता, फल, धन, स्वर्ण, चांदी, चांदी का नाग आदि चढ़ा सकतें हैं.
वैसे एक बात आप सबको पता होगी की महादेव शिव आशुतोष हैं आपकी श्रद्धा और भक्ति के साथ चढ़ाए गए मात्र जल से ही प्रसन्न होने वाले और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं.
महाशिवरात्रि में शिवलिंग पर क्या नहीं चढायें?
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर आप तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाएं.
शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाएं.
चम्पा और केतकी के फूल नहीं चढ़ाएं.
उपर दिए गए जानकारी के संबंद्ध में मतभिन्नता हो सकती है.
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि महादेव शिव की पूजा आराधना और स्तुति के लिए सर्वोत्तम त्यौहार है.
यह शिव और प्रकृति के मिलन का उत्सव है.
इसे हम शिव और शक्ति के मिलन का उत्सव भी कह सकतें हैं.
महादेव शिव और माता पार्वती के विवाह का शुभ दिन है. हम सबको इसे उत्सव के रूप में अवस्य ही मनाना चाहिए.
महादेव शिव के इस संसार को हलाहल विष से बचाने के उपलक्ष्य को भी हम सब उत्सव के रूप में मनाएं.
यह दिन भगवान शिव की साधना के लिए यह सर्वोत्तम है.
महाशिवरात्रि मनुष्य के आत्मिक आनंद को प्राप्त करने का शुभ दिन है.
महादेव शिव और माता पार्वती की परम कृपा पाने का शुभ दिन है.
महाशिवरात्रि विडियो
महाशिवरात्रि से संबंधित कुछ यूट्यूब विडियो हमने निचे दिए हुए हैं. आप इन विडियो को देखें.
महाशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है.
शिवरात्रि प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. जबकि फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जो शिवरात्रि मनाई जाती है, उसे महाशिवरात्रि कहतें हैं.
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